वर्तमान में वायु प्रदुषण एक विकट समस्या बानी हुयी है। इस समस्या से निपटने के लिए वर्तमान में एक नई तकनीक सामने आई है। असल में यह तकनीक ...
वर्तमान में वायु प्रदुषण एक विकट समस्या बानी हुयी है। इस समस्या से निपटने के लिए वर्तमान में एक नई तकनीक सामने आई है। असल में यह तकनीक तो पुरानी है लेकिन इसका प्रयोग वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए पहली बार होने जा रहा है। "थ्री - डी प्रिंटिंग " का नाम तो आपने सुना ही होगा।
हाल ही में कुछ अमरीकी शोधकर्ताओं की एक टीम ने 'थ्री-डी प्रिंटिंग' तकनीक के माध्यम से हथेली में व्याप्त जाने वाली एक 'स्पॉन्ज' जैसी संरचना तैयार की है, जो प्रदूषण को कम करने में मददगार साबित हो सकती है। अमरीकन यूनिवर्सिटी के रसायनशास्त्र के प्रोफेसर मैथ्यू हार्टिंग्स की टीम में शामिल शोधकर्ताओं ने यह बताया कि कैसे सक्रिय रसायन विज्ञान के साथ वाणिज्यिक थ्री-डी प्रिंटर का उपयोग कर एक संरचना बनाई जा सकती है।
शोधकर्ताओं की टीम ने 'थ्री-डी प्रिंटिंग' प्रक्रिया के दौरान रासायनिक सक्रिय टाइटेनियम डाइऑक्साइड TIO2 के नैनो कणों को मिलाकर एक 'स्पॉन्ज' के समान एक प्लास्टिक सांचे का निर्माण किया और उन्होंने ने पाया कि प्रकाश के TIO2 के संपर्क में आने के बाद किस तरह प्रदूषण छंट जाएगा। इससे यह समझने में मदद मिली कि इस प्रक्रिया में पानी, वायु और कृषि स्रोतों से प्रदूषण को समाप्त करने की क्षमता है।
हीर्टिंग्स के अनुसार , यह केवल प्रदूषण के बारे में नहीं है, लेकिन इसमें कई अन्य प्रकार की रासायनिक प्रक्रियाएं हैं, जिनमें लोगों की रुचि हो सकती है। प्रदूषण उपशमन को प्रदर्शित करने के लिए शोधकर्ताओं ने 'स्पॉन्ज' के समान तैयार प्लास्टिक के सांचे को पानी में डाला और इसमें एक जैविक अणु (प्रदूषक) भी मिलाया, जिसमें प्रदूषक नष्ट हो गया।
थ्री-डी प्रिंटिंग की शक्ति का उपयोग करने के लिए शोधकर्ताओं ने पहले से ही इस पर काम करना शुरू कर दिया है, जिससे यह समझ आ सके कि कैसे मुद्रित संरचना रसायनिक प्रतिकार को पर प्रभाव डालती है।
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