"जैविक खेती में गौमूत्र का उपयोग " एक विशेष प्रयोग में पाया गया है कि गौमूत्र में 44 प्रकार के तत्व पाये जा...
"जैविक खेती में गौमूत्र का उपयोग "
एक विशेष प्रयोग में पाया गया है कि गौमूत्र में 44 प्रकार के तत्व पाये जाते हैं। जिनमे फसलो और वनस्पतियो पर आने वाले कीट पतंगो फफूंद और विषाणु रोगो पर नियंत्रण करने कि क्षमता होती है। गौमूत्र में गंधक भी पायी जाती है जो कीटनाशक का कार्य करती है। इसके अतिरिक्त इसमें नाइट्रोजन , फास्फोरस , लोहा , चुना , आदि तत्व भी पाये जाते हैं जो वनस्पति को निरोग बनाते है।
जैविक खेती में गौमूत्र का उपयोग फसल पर छिड़काव करने के लिए किया जाता है। जैविक खेती में फसल पर गौमूत्र का छिड़काव निम्न तरह से घोल बनाकर किया जा सकता है -
- 10 लीटर गौमूत्र को एक ताम्बे के वर्तन में 1 किलो नीम कि पतियों के साथ 15 दिन तक गलाने के बाद उबालकर आधी मात्र बना ले। इस उबाल को छानकर इसको पानी में मिलकर फसल पर छिड़काव करे ध्यान रहे कि इस घोल में पानी कि मात्र 95 % और इसकी 5 % से जयदा न हो।
- गौमूत्र का सुबह सुबह फसल पर छिड़काव करने से प्रथम अवस्था में ही कीड़ो पर नियंत्रण पाया जा सकता है। 5 लीटर गौमूत्र में 1 लीटर निर्गुण्डी का रस और एक लीटर हींग का पानी ,इन तीनो को 8 लीटर पानी के साथ मिलकर फसल पर छिड़काव करें। यह छिड़काव फसल पर लगने वाले कीड़ो के लिए अचूक दवा है।
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