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आज कल की भाग दौड़ से भरी जिंदगी , काम की टेंसन , अधिक पैसा कमाने की होड़ में हम अपने शरीर की स्वस्थता की और ध्यान ही नही दे पाते और जाने अनजाने अनेक प्रकार के रोगो के गाड़ियों में सफर करते करते जिंदगी गुजार देते हैं। कभी कभी तो पता ही नही चलता की हम अब तक किस रोग की गाडी में टहल रहे थे , जब ज्यादा ही प्रॉब्लम होती है तब उस रोग रुपी गाडी के टिकेट चेकर रुपी डॉक्टर को अपनी चेकिंग करवाते हैं तब पता चलता है की बात कितनी सीरियस है लेकिन इन सब चीज़ो में कभी कभी हम इतनी देर कर देते हैं कि तब तक हमारे दुनिया से टहल जाने कि बारी आ जाती है। इन्ही में से एक है कमर दर्द वाली गाडी जिसमे आज कल लगभग लगभग हर आयु का व्यक्ति जाने अनजाने सफर कर रहा है। कमर दर्द आज के समय में एक आम बात हो गयी है। चाहे दफ्तर में 10 घंटे काम करने वाले क्लर्क साहब हो या फिर घर में काम करने वाली महिलाएं, या फिर पढ़ाई करने वाले छात्र छात्राएं कमर दर्द ने सभी को अपनी गिरफ्त में ले लिया है।
कमर दर्द के कुछ प्रमुख कारण
कमर दर्द निम्न कारणों से हो सकता है जिनका हम अक्सर ध्यान नही रखते -
- गलत तरीके से वजन उठाना , गलत तरीके से झुकना।
- काफी देर तक एक ही अवस्था में जुखकर काम करना कमर दर्द का एक प्रमुख कारण है।
- रीड कि हड्डी में चोट पहुचना।
- जयदा थकान और शरीर के मांसपेशियों में होने वाले दर्द से कमर दर्द को बड़वा मिलता है।
- आर्थराईटिस, ऑस्टियोपोरोसिस , पथरी होने वाले संक्रमण भी कमर दर्द को बढ़ावा देते हैं।
कमर दर्द के कुछ प्रमुख प्रकार
काक्सीडायनिया
मेरुदण्ड के निचे त्रिकोण के आकार की हड्डी कॉक्सिक्स में होने वाला कमर दर्द है। कुर्सी पर बैठकर घंटों काम करने वाले लोग इसका शिकार हो सकते हैं। दर्द वाले भाग कि सिकाई और दर्द निवारक इंजेक्शन के जरिए इस दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है। अधिकतर केसेस में ये पाया गया है कि ये दर्द धीरे-धीरे खुद ही कम हो जाता है.
फाइब्रोसाइटिस
इस प्रकार के कमर दर्द का कारण मांसपेशियों में दर्द और कड़कपन पैदा होना है। जिसकी वझे से न सिर्फ पीठ में बल्कि गले, छाती, कंधों, कूल्हों व घुटनों में दर्द कि शिकायत होने लगती है । ज्यादा तनाव व ठीक तरह से न उठना-बैठना इसके प्रकार के दर्द के कारण हैं। गर्म पानी से नहाना , मालिश, दर्दनाशक दवाओं का सेवन और रिलेक्सेशन व्यायामों के जरिए मांसपेशियों के खिंचाव व दर्द को दूर किया जा सकता है।
आस्टियो-आर्थराइटिस
इस प्रकाार का दर्द मुख्यत 50 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगो में होता है किन्तु इससे कम उम्र वाले लोगों में किसी दुर्घटना के बाद कार्टिलेज में परेसानी आने के कारण भी ये दर्द हो सकता है इस प्रकार के दर्द कि पहचान हड्डियों के जोडों में दर्द, कठोरता व सूजन आना आदि हैं । रीढ़ की हड्डी, कूल्हों एवं घुटनों के जोडों में अक्सर यह शिकायत रहती है .
पायलोनेफ्राइटिस
इस प्रकार का दर्द किडनी में फैले इन्फेक्शन कि वजह से होता है . कभी कभी किडनी में बैक्टिरियल इंफेक्शन होने से तेज बुखार, कंपकंपी महसूस होने और पीठ दर्द की शिकायत रहने लगती है। अगर सही समय पर उपचार न किया जाए तो उससे किडनी को भी नुकसान पहुंचने की संभावना रहती है। जीवाणु नाशक औषधियों के प्रयोग से इससे छुटकारा पाया जा सकता है।
स्कोलियोसिस
इस प्रकार के करम दर्द में हमको विशेष सावधानी बरतने होती है क्यों कि ये बचपन से हमको अपनी जकड में ले लेता है ,इसके कारण मेरुदण्ड सीधी न रहकर किसी एक तरफ झुक जाती है और इससे ज्यादा छाती और पीठ के नीचे के हिस्से प्रभावित होते हैं। इसके कारण शारीरिक विकास रुक जाता है, तब तक यह झुकाव साफ नजर आने लगता है।
ये दर्द इतना भयंकर है कि अगर समय रहते इसका उपचार न कराया जाए तो यह शरीर में विकृति व विकलांगता भी पैदा करसकता है। रीढ़ की हड्डी में किसी जन्मजात असामान्यता के चलते या रीढ़ की हड्डी के दुर्घटना का शिकार हो जाने पर भी स्कोलियोसिस हो सकती है। अगर स्कोलियोसिस के सही कारण का पता चल जाए जैसे स्लिपडिस्क की वजह से है तो ‘बेडरेस्ट’ के जरिए व पैरों की लम्बाई असमान होने की वजह से है तो विशेष किस्म के आर्थोपैडिक जूतों के उपयोग से इससे बचा जा सकता है। यदि रीढ़ का झुकाव लगातार होता रहे तो आर्थोपैडिक सर्जन से परामर्श करके शल्य क्रिया भी कराई जा सकती है।
स्लिप्ड डिस्क या डिस्क प्रोलैप्स
इस प्रकार का पीठ दर्द एक आम समस्या है। इसके अंतर्गत रीढ़ की हड्डी से लिपटी मांसपेशी कमजोर पड़ जाती है । इस कारण उस क्षेत्र की रीढ़ की हड्डी का गूदेदार नुकीला सिरा बाहर निगल आता है। इस कारण असहनीय कमर दर्द होता है। कई बार यह नुकीला गूदेदार हिस्सा नसों पर इतना दबाव डालता है कि इससे पीड़ित व्यक्ति लाचार या विकलांग जैसा हो जाता है। ज्यादातर पीठ का निचला हिस्सा ही डिस्क प्रोलेप्स का शिकार होता है। इसके कारण कूल्हे या पीठ के ऊपरी हिस्से में भी दर्द हो सकता है
इन बातो पर दे ध्यान
वैसे तो कमर दर्द के सम्पूर्ण इलाज के लिए हमे डॉक्टर के पास जाना ही पड़ता है किन्तु शुवाती अवस्था में हम निम्न तरीको से कमर दर्द को बढ़ने या होने से रोक सकते हैं।
- सबसे पहले हमको अपने काम करने के तरीके में सुधार लाना होगा यदि हम काफी समय तक एक ही अवस्था में बैठकर काम करते हैं तो हमको चाहिए कि हम हर ४० या ५० मिनट के बाद थोड़ा ब्रेक ले।
- झटके से बैठने उठने से हमेशा बचे , भारी वजन अकेले न उठाये।
- कैल्सियम युकत पौस्टिक भोजन ले।
- पीठ दर्द से बचने के लिए व्यायाम करें . नियमित व्यायाम न सिर्फ आपको पीठ दर्द से छुटकारा दिलाता है, बल्कि पुराने पीठ दर्द में भी लाभ पहुंचाता है। व्यायाम उचित ढंग से करें। गलत ढंग से किया गया व्यायाम पीठ दर्द को और बढ़ा सकता है।
जिन लोगो को कमर दर्द रहता है लेकिन उनको तैरना आता है तो ये उनके लिए सबसे अच्छा व्यायाम है तैरने से से हमारे पेट, पीठ, बांह, व टांगों की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। पानी हमारे शरीर के गुरुत्वाकर्षी खिंचाव को कम कर देता है, जिसके चलते तैरते समय पीठ पर किसी तरह का तनाव या बोझ नहीं पड़ता। यह सावधानी जरूर रखें कि कुछ निश्चित स्ट्रोक के बाद अपना चेहरा पानी के भीतर जरूर कर लें। हमेशा सिर ऊपर करके तैरने से रीढ़ के अस्थिबंधों में कुछ ज्यादा ही खिंचाव पैदा हो जाता है। इस कारण पीठ दर्द बढ़ भी सकता है।
तेज चलना भी शरीर में लोच बनाए रखने के लिए लाभदायक है, किन्तु सुबह के समय, खाली पेट ही घूमना अधिक फायदेमंद होता है। दिल के रोगियों को तेज चाल नहीं करनी चाहिए।
Reference - कमर दर्द से सम्बंधित दी गयी उपरोक्त जानकारी के कुछ अंश "कमर दर्द कारण और निवारण " नामक पुस्तक से लिए गए हैं
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